संसद के शीतकालीन सत्र का मंगलवार को छठवां दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ गया। सरकार और विपक्ष के बीच मुद्दों पर तीखी तकरार ने सदन की कार्यवाही को बाधित कर दिया है। विपक्षी INDIA गठबंधन के नेताओं ने अडाणी मुद्दे और उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा को लेकर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने हिस्सा लिया, जबकि सपा और टीएमसी ने दूरी बनाए रखी।
सरकार और विपक्ष के बीच टकराव
केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के हंगामे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संसद का सुचारू रूप से चलना देश के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा,
“हमारे पास बहुमत है, इसलिए बिना चर्चा के भी बिल पास कर सकते हैं। लेकिन ऐसा करना हमें ठीक नहीं लगता। विपक्ष को समझना चाहिए कि सदन बाधित करने से देश और सांसदों को ही नुकसान होता है।”
रिजिजू ने अडाणी मुद्दे पर चर्चा को खारिज करते हुए कहा कि,
“अगर किसी दूसरे देश में भारतीय नागरिक के खिलाफ कोई कोर्ट आदेश आता है, तो क्या हम सदन की पूरी कार्यवाही उसी पर बाधित कर देंगे?”
विपक्ष का प्रदर्शन और सरकार पर आरोप
विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा से बच रही है। उन्होंने अडाणी समूह पर लगे आरोपों और संभल हिंसा मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की। हालांकि, सरकार का रुख स्पष्ट है कि सदन की कार्यवाही बाधित करना विपक्ष की जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए।
आने वाले दिनों में संविधान पर चर्चा
किरेन रिजिजू ने जानकारी दी कि आगामी 13 और 14 दिसंबर को लोकसभा और 16 व 17 दिसंबर को राज्यसभा में संविधान पर चर्चा होगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस चर्चा के जरिए संसद में सकारात्मक संवाद का माहौल बनाया जाएगा।
शीतकालीन सत्र का शुरुआती हफ्ता हंगामों और विरोध प्रदर्शनों से भरा रहा है। देश के अहम मुद्दों पर सार्थक चर्चा और कानून निर्माण की उम्मीदें फिलहाल अधूरी नजर आ रही हैं। सरकार और विपक्ष के बीच इस गतिरोध को सुलझाना समय की मांग है, ताकि संसद का सत्र देश के विकास और नागरिकों के हित में उपयोगी साबित हो सके।
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