गुजरात के धंधुका तालुका में एक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां जाने-माने कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर प्रशांत वजीरानी के इलाज के चलते एक किसान की मौत हो गई। यह मामला एक बार फिर से स्वास्थ्य क्षेत्र में लापरवाही और गलत इलाज के मुद्दे को उजागर करता है, जिससे स्थानीय समुदाय और मृतक के परिवार में गहरी नाराजगी व्याप्त है।
रतनपुर गांव के किसान भाईलाल सोलंकी की तबीयत खराब होने पर उन्हें अहमदाबाद स्थित SAAL अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां डॉक्टर प्रशांत वजीरानी ने उन्हें ‘ब्लॉक’ होने की वजह से स्टेंट लगाने की सलाह दी। इस प्रक्रिया के बाद मरीज की हालत बिगड़ गई और अंततः उनकी मृत्यु हो गई। यह घटना न केवल उनके परिवार के लिए एक बड़ा सदमा है, बल्कि स्थानीय लोगों में भी गहरी चिंता और आक्रोश का कारण बन गई है।
परिवार ने आरोप लगाया है कि डॉक्टर ने बिना पूरी जांच-पड़ताल के भाईलाल सोलंकी पर स्टेंट लगवाने के लिए दबाव डाला, जबकि इस प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं थी। उनका कहना है कि यह एक कदाचार था, जिसने उनकी जान ले ली। मृतक के बेटे लालूभाई सोलंकी और भतीजे जयेश सोलंकी ने अपने पिता और चाचा की मौत का जिम्मेदार डॉक्टर प्रशांत वजीरानी को ठहराया है और पुलिस से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने बताया कि डॉक्टर की लापरवाही के कारण उनका परिवार अपूरणीय क्षति झेल रहा है।
इस घटना के बाद, परिवार ने अहमदाबाद और धंधुका पुलिस थाने में डॉक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है और उन्हें सख्त कानूनी कार्रवाई का सामना करने की अपील की है। धंधुका में इस मामले को लेकर लोगों में गुस्सा है, और कई स्थानीय लोग यह मानते हैं कि इस घटना ने स्वास्थ्य क्षेत्र के पेशेवरों की विश्वसनीयता को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाया है।
गुजरात में डॉक्टर प्रशांत वजीरानी के खिलाफ पहले भी लापरवाही और गलत इलाज के आरोप सामने आ चुके हैं, लेकिन इस नए मामले ने उनके खिलाफ एक बार फिर से विवाद को जन्म दिया है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या स्वास्थ्य के क्षेत्र में कुछ डॉक्टर अपने पेशेवर कर्तव्यों को पूरा करने के बजाय, पैसों की लालच में गलत फैसले ले रहे हैं? यह केवल एक परिवार की कहानी नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य व्यवस्था में हो रही अनियमितताओं और मरीजों के अधिकारों के उल्लंघन की गंभीरता को भी दर्शाता है।
इस घटना से यह स्पष्ट है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में तंत्र की सख्त निगरानी और सुधार की आवश्यकता है। डॉक्टरों को अपने पेशेवर दायित्वों का पूरी ईमानदारी से पालन करना चाहिए, और मरीजों के जीवन से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस मामले में त्वरित न्याय मिलेगा और यह घटना अन्य स्वास्थ्य संस्थानों और डॉक्टरों के लिए एक कड़ी चेतावनी बनेगी।
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