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Thursday, December 19   6:29:04
Down Syndrome

डाउन सिंड्रोम

यह दसवें लेख में जानेगें की डाउन सिंड्रोम एक आनुवांशिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति में सामान्य ४६ के बजाय ४७ गुणसूत्र (क्रोमोजोम्स) होते हैं। डाउन सिंड्रोम को ट्राइसोमी २१ भी कहते हैं।

डाउन सिंड्रोम एक आजीवन बीमारी है,जो जन्म दोष है। जन्म से पहले शुक्राण या अंडे में बदलाव के. कारण होता हैं।

डाउन सिंड्रोम के प्रकार-

१.ट्राइसोमी २१ –
यह डाउन सिंड्रोम आम प्रकार का है,जिसमें शरीर की सभी कोशिकाओ में गुणसुत्र २१ की दो के बजाय तीन प्रतिया होती हैं।

२.ट्रासलोकेशन डाउन सिंड्रोम-
इससे पीड़ित लोगों का गुणसूत्र २१ अन्य गुणसूत्र से जुडा होता हैं।

३. मोजेक डाउन सिंड्रोम-
यह शरीर की कुछ कोशिकाओ में ही गुणसुत्र होता हैं।

तीनों प्रकार के डाउन सिंड्रोम के प्रभाव कुछ हद तक समान होते है,किसी को देख कर हम नहीं बता सकते किसको कौन सा प्रकार हैं।

डाउन सिंड्रोम को और बेहतर तरह से जानते हैं-

१. डाउन सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में शारीरिक और मानसिक तरह की चुनौतिया हो सकती हैं।

२. डाउन सिंड्रोम वाले लोगों को थायरॉइड, मोटापा,ल्यूकेमिया,गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार जैसी समस्याए हो सकती हैं।

३. डाउन सिंड्रोम की शारीरिक विशेषताए
चिपटी नाक और चेहरा
छोटा मुंह
छोटी गर्दन
छोटे हाथ और पैर
छोटा कद आदि.

४. डाउन सिंड्रोम का नाम जाॅन लैगडन डाउन, एक चिकित्सक पे रखा है जिन्होने १८६० डाउन सिंड्रोम जैसी स्थिति का सही विवरण प्रकाशित किया।

५. डाउन सिंड्रोम वाले लोग पुरे जीवन मे नए कौशल सीखते रहेगें,लेकिन चलने,बात करने और सामाजिक कौशल विकसित करने में अधिक समय लग सकता हैं।

६. दूसरों से सामाजिक संबंध बनाना और निराश होने पर अपनी भावनाओ को संभालने में कठिनाई होती है।

डाउन सिंड्रोम बच्चों के माता- पिता को हर तरह की चीजें सीखकर बच्चो को करानी चाहिए। बच्चो की मदद करने के लिए कार्यक्रमो और संसाधनो में जाना चाहिए और भाग लेना चाहिए।