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pig

सुअर: कहीं देवता का रूप, तो कहीं अपवित्रता का प्रतीक, वराह अवतार से ‘हराम’ तक का सफर

जब आप ‘पिगी बैंक’ शब्द सुनते हैं, तो आपके दिमाग में सूअर के आकार का गुल्लक आता होगा, जिसमें बचपन में आप अपने छोटे-छोटे पैसे जमा करते थे। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि इस बचत गुल्लक का नाम सूअर यानी ‘पिग’ के नाम पर क्यों रखा गया? यह सवाल सुनने में जितना साधारण लगता है, इसके पीछे की कहानी उतनी ही दिलचस्प है। चलिए, आज हम आपको ‘पिगी बैंक’ के नामकरण की एक अनसुनी और मजेदार दास्तान बताते हैं।

पिग नहीं, ‘pygg’ से शुरू हुई थी कहानी
इस नाम की शुरुआत मध्यकालीन इंग्लैंड से होती है, जब लोग पैसे और कीमती वस्तुएं रखने के लिए सस्ती मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करते थे। उस समय, एक खास प्रकार की मिट्टी जिसे “pygg” कहा जाता था, का उपयोग इन बर्तनों को बनाने के लिए किया जाता था। लोग अपने सिक्के और पैसे इन्हीं “pygg” मिट्टी से बने बर्तनों में रखते थे, जिन्हें “pygg banks” कहा जाता था।

भाषाई भ्रम और पिगी बैंक की उत्पत्ति
17वीं शताब्दी के अंत तक, अंग्रेजी भाषा में उच्चारण में बदलाव आने लगा। “pygg” का उच्चारण धीरे-धीरे “pig” के रूप में समझा जाने लगा, जिसका अर्थ अंग्रेजी में सूअर होता है। इसी भ्रम के चलते “pygg bank” को “pig bank” कहा जाने लगा। इस दिलचस्प भाषाई परिवर्तन ने “पिगी बैंक” की उत्पत्ति की नींव रखी। फिर धीरे-धीरे सूअर के आकार के गुल्लक बनने लगे, और “पिगी बैंक” का चलन पूरी दुनिया में फैल गया।

धार्मिक और सांस्कृतिक संदर्भों में सुअर
सुअर का नाम सुनते ही दुनिया के विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों में इसके प्रति अलग-अलग मान्यताएं सामने आती हैं। यहां हम कुछ प्रमुख धर्मों में सुअर से जुड़ी मान्यताओं को समझेंगे।

इस्लाम और यहूदी धर्म में सुअर की मान्यता
इस्लाम और यहूदी धर्म में सुअर को अपवित्र माना जाता है। दोनों धर्मों के धार्मिक ग्रंथों में सुअर के मांस को खाने की सख्त मनाही है। इस्लाम में सुअर को “हराम” यानी वर्जित माना गया है, वहीं यहूदी धर्म के कोषर आहार नियमों में सुअर के मांस को निषिद्ध बताया गया है।

हिंदू धर्म में सुअर: देवता का रूप और अपवित्रता का प्रतीक
हिंदू धर्म में सुअर की स्थिति जटिल है। भगवान विष्णु के दस अवतारों में से एक, वराह अवतार, सुअर के रूप में है, जिसने धरती को बचाया था। वहीं, कुछ हिंदू समाजों में सुअर को अपवित्र भी माना जाता है, खासकर भोजन के संदर्भ में।

ईसाई और बौद्ध धर्म में सुअर की भूमिका
ईसाई धर्म में सुअर के मांस को लेकर मान्यताएं बदल गई हैं। प्रारंभिक ईसाइयों ने इसे वर्जित माना, लेकिन अब अधिकांश ईसाई इसे खाते हैं। वहीं, बौद्ध धर्म में सुअर को एक सांकेतिक महत्व दिया गया है, जहां इसे अज्ञानता और लालच का प्रतीक माना जाता है।

कांतारा फिल्म में सुअर का सांकेतिक महत्व
फिल्म “कांतारा” में सुअर का उपयोग केवल एक जानवर के रूप में नहीं, बल्कि मानव और प्रकृति के बीच के संघर्ष को दर्शाने के लिए किया गया है। फिल्म में सुअर का शिकार दिखाता है कि कैसे ग्रामीण समुदाय आधुनिकता और परंपरा के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करते हैं। यह दृश्य ग्रामीण जीवन की जटिलता और मानव की आंतरिक इच्छाओं का प्रतीक है।

“पिगी बैंक” केवल एक गुल्लक नहीं, बल्कि इतिहास और संस्कृति के समृद्ध संदर्भों से जुड़ा हुआ है। यह हमें बताता है कि कैसे भाषा और समय के साथ-साथ चीजें बदलती हैं। चाहे वह गुल्लक के रूप में ‘पिगी बैंक’ हो या धार्मिक मान्यताओं में सुअर का स्थान, यह जानवर हमारे समाज और संस्कृति में गहराई से रचा-बसा है। एक ओर जहां एक धार्मिक मान्यता इसे हराम मानती है वहीं दूसरी ओर इसकी पूजा की जाती है।