शुक्रवार की शाम को एक गंभीर रेल दुर्घटना में मैसूर-दरभंगा भागमती एक्सप्रेस ने चेन्नई के निकट कावराइपेट्टई रेलवे स्टेशन पर एक खड़ी मालगाड़ी को टक्कर मार दी। इस हादसे में कम से कम 19 लोग घायल हो गए और एक्सप्रेस ट्रेन के 13 कोच पटरी से उतर गए। दुर्घटना के परिणामस्वरूप दो कोचों में आग लग गई, जिससे घटनास्थल पर अफरातफरी मच गई।
घटना का विवरण
प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रेन के चालक को अचानक एक भारी झटका लगा, जिससे एक्सप्रेस ट्रेन एक लूप लाइन पर चली गई और खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई। सूत्रों के मुताबिक, ट्रेन की गति 109 किमी/घंटा थी जब चालक ने झटके का अनुभव किया। टकराव के बाद, दृश्य दिखाते हैं कि आग के लपटें एक कोच से निकल रही थीं, जबकि लोग यात्रियों को बचाने की कोशिश कर रहे थे।
राहत कार्य
थिरुवल्लूर जिला कलेक्टर ने कहा कि राहत कार्य तेजी से चल रहा है। घायल यात्रियों को नजदीकी अस्पतालों में भेजा गया है। भारतीय रेलवे ने आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं ताकि प्रभावित यात्रियों को सहायता प्रदान की जा सके। डॉक्टरों, एंबुलेंस, चिकित्सा राहत टीमों और वरिष्ठ अधिकारियों को घटनास्थल पर भेजा गया है। सभी यात्रियों को सुरक्षित निकाला गया है।
दक्षिणी रेलवे ने एक बयान में कहा, “हम सभी यात्रियों को EMU ट्रेन द्वारा चेन्नई सेंट्रल भेज रहे हैं, और नई ट्रेन तैयार की गई है ताकि उन्हें दरभंगा या अन्य गंतव्यों पर ले जाया जा सके। हम यात्रियों को मुफ्त भोजन, पानी और नाश्ता भी प्रदान कर रहे हैं।”
इस प्रकार की घटनाएँ हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि क्या हमारी रेलवे सुरक्षा मानकों का पालन कर रही है? तकनीकी खराबियाँ और मानवीय त्रुटियाँ अक्सर इस प्रकार की दुर्घटनाओं का कारण बनती हैं। हम सबको चाहिए कि हम रेलवे व्यवस्था की सुरक्षा और यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दें।
इस दुखद घटना ने न केवल यात्रियों की जान को खतरे में डाला, बल्कि रेलवे यातायात को भी बाधित कर दिया है। हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे, ताकि ऐसे हादसे दोबारा न हों।
इस दुर्घटना से हमें एक सीख मिलती है कि सुरक्षा कभी भी प्राथमिकता से समझौता नहीं किया जाना चाहिए। हम सभी को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि रेलवे प्रणाली सुरक्षित और यात्रियों के लिए सुरक्षित हो।
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