दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा धमाका होने जा रहा है। आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा देने का फैसला किया है। बताया जा रहा है कि केजरीवाल मंगलवार को 4:30 बजे उपराज्यपाल वीके सक्सेना से मिलकर अपने पद से इस्तीफ़ा देंगे।
यह खबर तब आई है जब पार्टी में नए मुख्यमंत्री की तलाश के लिए बैठकों का दौर जारी है। माना जा रहा है कि पार्टी विधायकों की एक अहम बैठक होने वाली है, जिसमें केजरीवाल के उत्तराधिकारी का नाम तय किया जाएगा।
रविवार को पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने घोषणा की थी कि वो अगले दो दिनों में इस्तीफा देंगे। उन्होंने कहा कि जब तक जनता उनकी ईमानदारी पर भरोसा नहीं जताती, तब तक वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे। उन्होंने कहा, “जेल से बाहर आने के बाद अब मैं अग्निपरीक्षा से गुजरने को तैयार हूं।”
यह ऐलान केजरीवाल ने तब किया जब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दिल्ली के एक्साइज पॉलिसी घोटाले में जमानत दी थी और वो तिहाड़ जेल से बाहर आए थे। यह मामला सीबीआई द्वारा दायर किया गया था, जिसमें केजरीवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे।
केजरीवाल के इस्तीफे के फैसले के बाद अटकलें तेज़ हो गई हैं कि उनके उत्तराधिकारी कौन हो सकते हैं। कई वरिष्ठ AAP नेताओं के नाम चर्चा में हैं, जिनमें आतिशी, सौरभ भारद्वाज, कैलाश गहलोत, गोपाल राय और इमरान हुसैन प्रमुख हैं। कुछ सूत्रों का कहना है कि पार्टी एक दलित नेता को मुख्यमंत्री बना सकती है, हालांकि किसी विशेष नाम का खुलासा नहीं किया गया है।
दिल्ली विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 11 फरवरी 2025 को समाप्त हो रहा है, जबकि आखिरी चुनाव 8 फरवरी 2020 को हुआ था। उस चुनाव में AAP ने 70 में से 62 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी को 8 सीटों पर संतोष करना पड़ा था।
मुख्यमंत्री पद की दौड़ में आतिशी का नाम सबसे आगे माना जा रहा है, खासकर उनके शिक्षा, वित्त, राजस्व और कानून जैसे अहम विभागों के बेहतरीन प्रबंधन के चलते।
अरविंद केजरीवाल ने पहली बार 2013 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और यह तीसरी बार था जब वह इस पद पर बने थे। अब सवाल यह उठता है कि क्या केजरीवाल की इस ‘अग्निपरीक्षा’ के बाद पार्टी और सरकार की दिशा क्या होगी, और दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा?
यह इस्तीफा न सिर्फ दिल्ली की राजनीति बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। केजरीवाल का यह साहसिक कदम राजनीति में ईमानदारी और जनविश्वास की महत्ता को फिर से रेखांकित करता है। अब देखना यह है कि जनता और पार्टी किसे अगला नेता मानती है और दिल्ली की बागडोर किसे सौंपती है।
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