एडी एचडी को कैसे पहचाने
पहले के पांच लेखो से हमने ऑटिज्म के बारे में जाना। इस लेख में हम एडी एचडी के बारे में जानेंगे और समझेंगे।
एडी एचडी एक मानसिक स्वास्थ्य विकार हैं,इसको अटेंशन डेफिसिट हाइपर एक्टिव डिसाडॅर कहते हैं।
एडी एचडी बच्चों में हाइपर एक्टिविटी, मतलब जरूरत से ज्यादा सक्रियता देखी जाती हैं। ऐसे मे बच्चा एक कार्य पर ध्यान केन्द्रित करने या लंबे समय तक जगह बैठने मे असफल रहता हैं।
एडी एचडी की समस्या लड़कियो की तुलना मे लड़को मे ज्यादा होती हैं। एडी एचडी वाले बच्चो में बिहेवियर प्रॉब्लम्स भी देखी जा सकती हैं।
एडी एचडी के संकेत क्या है-
१.लापरवाह, किसी कार्य के डिटेल्स भूल जाना।
२.बैठे- बैठे कही खो जाना।
३.बेचैन, धैर्य न रहना
४.जरूरत से अधिक सक्रियता होना।
५.अत्यधिक बाते करना।
६.असंतोष रहना।
७.अपनी बात को समझाने में असफल रहना।
८.ऑर्गनाइज तरीके से दिये हुए काम को कंप्लीट न कर पाना।
९.जब भी मन हो उठकर दौड़ लगाना।
एडी एचडी के कारण-
अब तक सही कारण का पता नही चला है,विशेषज्ञो का मानना है कि प्रीमैच्योर बर्थ,,या गर्भावस्था के समय मां के द्वारा नशीले पदार्थो का सेवन, बच्चे का जन्म के समय वजन कम होना यह कारण हो सकते हैं
इस के अलावा सिर पर चोट लगना या आसपास तनाव वाला माहौल यह कुछ कारण हो सकते हैं।
एडी एचडी का उपचार-
६ वर्ष से कम उम्र के बच्चो के लिए व्यवहार थेरेपी दिजा सकती हैं,आगे बच्चा बड़ा हो तो डॉक्टर की सलाह पर दवाई भी दि जा सकती हैं। माता-पिता भी बच्चो को व्यवहार कौशल बनाने सफल हो, ऐसी तकनीक सिखाई जाती हैं।
अपने बच्चो को समझे,सपोर्ट करे और उनका जीवन कुशल और सफल बनाने में अपना योगदान दें।
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