राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल और अशोक हॉल का नाम बदल दिया गया है। अब दरबार हॉल को गणतंत्र मंडप और अशोक हॉल को अशोक मंडप के तौर पर जाना जाएगा। इन दोनों मंडपों की उम्र 92 साल हो चुकी है। इन दोनों हॉल की अपनी कहानी रही है। सर एडविन लुटियंस ने इस भव्य राष्ट्रपति भवन को 1911 में बनाना शुरू किया और 1932 में खत्म किया।
भारत के इतिहास में ये दोनों ही हॉल एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। यह न केवल भवन का सबसे भव्य कक्ष है बल्कि भारत के कई ऐतिहासिक क्षणों का गवाह भी रहे हैं।
दरबार हॉल का इतिहास
दरबार हॉल को पहले ‘थ्रोन रूम’ के नाम से जाना जाता था। पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में स्वतंत्र भारत की प्रथम सरकार ने 15 अगस्त, 1947 को इसी हॉल में शपथ ली थी। 1948 में सी. राजगोपालाचारी ने भी भारत के गवर्नर जनरल के रूप में दरबार हॉल में शपथ ली थी। 1977 में राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद के निधन पर भारत के पांचवे राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि देने के लिए दरबार हॉल का उपयोग किया गया था।
वर्तमान में दरबार हॉल का महत्व
सम्मान समारोह: अब यहां राष्ट्र के माननीय राष्ट्रपति द्वारा असैन्य और सैन्य सम्मान दिए जाते हैं।
शपथ समारोह: नई सरकार के शपथ समारोह दरबार हॉल में ही आयोजित किए जाते हैं।
ऐतिहासिक महत्व: यह हॉल भारत के इतिहास के कई महत्वपूर्ण क्षणों का गवाह रहा है और इसलिए यह राष्ट्रीय महत्व का एक स्मारक है।
अशोक हॉल का इतिहास
राष्ट्रपति भवन का अशोक हॉल न केवल भारत के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है बल्कि भवन की भव्यता और कलात्मकता का भी प्रतीक है। इस हॉल का नाम अशोक स्तंभ पर आधारित है, जो भारतीय संस्कृति और इतिहास का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।
अशोक हॉल का महत्व
अशोक हॉल को पहले ‘स्टेट बॉल रूम’ के नाम से जाना जाता था। हाल ही में, इस हॉल का नाम बदलकर अशोक मंडप कर दिया गया है, ताकि इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को और अधिक उजागर किया जा सके। यह हॉल राष्ट्रपति भवन के सबसे महत्वपूर्ण कक्षों में से एक है। यहां कई महत्वपूर्ण समारोह आयोजित किए जाते हैं, जैसे कि विदेशी मेहमानों के स्वागत समारोह और राष्ट्रीय दिवस।
अशोक हॉल की दीवारों पर अत्यंत सुंदर कलाकृतियां हैं, जो भारतीय कला और संस्कृति को दर्शाती हैं। इस हॉल की वास्तुकला भी अत्यंत भव्य और आकर्षक है।
अशोक हॉल की विशेषताएं
विशाल आकार: अशोक हॉल राष्ट्रपति भवन का एक विशाल कक्ष है।
अशोक स्तंभ: हॉल के केंद्र में एक विशाल अशोक स्तंभ स्थापित है, जो भारतीय संस्कृति का प्रतीक है।
कलाकृतियां: हॉल की दीवारों पर भारतीय कलाकारों द्वारा बनाई गई अनेक सुंदर कलाकृतियां हैं।
प्रकाश व्यवस्था: हॉल की प्रकाश व्यवस्था अत्यंत आकर्षक है, जो इसे और अधिक भव्य बनाती है।
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