Arundhati Roy UAPA Case : दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने 14 जून को लेखिका अरुंधति रॉय और कश्मीर स्थित अकादमिक शेख शौकत हुसैन पर गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी। यह मंजूरी 2010 में नई दिल्ली में आयोजित एक सेमिनार में दिए गए कथित उत्तेजक भाषणों के आधार पर दी गई। ये मामला 14 साल पुराना है और अरुंधति रॉय पर भारत की एकता और अखंडता के ख़िलाफ़ टिप्पणी करने का आरोप है।
बेजुबानों की आवाज Arundhati Roy
अरुंधति रॉय एक प्रसिद्ध भारतीय लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उनका जन्म 24 नवंबर 1961 को शिलांग, मेघालय में हुआ था। वह अपने पहले उपन्यास “द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स” (1997) के लिए प्रसिद्ध हुईं, जिसने उन्हें मैन बुकर पुरस्कार भी दिलाया। इसके अलावा, रॉय ने कई सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर भी लेख लिखे हैं और सक्रिय रूप से सामाजिक न्याय, मानवाधिकार, और पर्यावरण संरक्षण के लिए आवाज उठाई है। उनकी लेखनी और भाषण कई बार विवादास्पद भी रह चुके हैं, लेकिन वे हमेशा अपने विचारों को स्पष्ट और सशक्त रूप से प्रस्तुत करने के लिए जानी जाती हैं।
जानें कहां से शुरू हुआ था पूरा मामला
यह मामला 27 नवंबर 2010 का है जबतिलक मार्ग पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की गई थी। कश्मीर के सामाजिक कार्यकर्ता सुशील पंडित द्वारा दायर की गई शिकायत पर आधारित है। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट, नई दिल्ली की अदालत के आदेश पर FIR दर्ज की गई थी। शिकायत में आरोप लगाया गया कि रॉय और हुसैन ने 21 अक्टूबर, 2010 को ‘Azadi—The Only Way’ के बैनर तले राजनीतिक कैदियों की रिहाई के लिए समिति द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में उत्तेजक भाषण दिए थे। जिसमें रॉय ने कथित तौर पर कहा था कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा नहीं है।
क्या है उन्मूलित गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (UAPA)
उन्मूलित गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) भारत का एक कानून है, जिसे 1967 में पारित किया गया था। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य भारत की संप्रभुता और अखंडता को बनाएं रखना और आतंकवादी गतिविधियों को रोकना है।
UAPA की मुख्य धाराएँ:
धारा 10: गैरकानूनी संगठन का सदस्य बनना।
धारा 11: गैरकानूनी संगठन में योगदान देना।
धारा 13: गैरकानूनी गतिविधियों के लिए सजा।
धारा 15: आतंकवादी गतिविधि की परिभाषा।
धारा 16: आतंकवादी गतिविधियों के लिए सजा।
धारा 17: आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन इकट्ठा करना।
धारा 18: आतंकवादी षड्यंत्र।
धारा 20: आतंकवादी संगठन का सदस्य बनना।
धारा 38: आतंकवादी संगठन के सदस्य के रूप में सजा।
धारा 40: आतंकवादी संगठन को आर्थिक मदद।
UAPA के अंतर्गत मामलों के कारण:
भारत की सुरक्षा और संप्रभुता को खतरा पहुंचाने वाले कार्य: इस अधिनियम का उद्देश्य ऐसे सभी कार्यों को रोकना है जो भारत की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा को खतरे में डाल सकते हैं।
आतंकवादी संगठन से संबंध रखना या उसमें शामिल होना: UAPA के तहत, किसी भी व्यक्ति को आतंकवादी संगठन से संबंध रखने या उसमें शामिल होने के लिए सजा दी जा सकती है।
आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन इकट्ठा करना या समर्थन देना: इस अधिनियम के अंतर्गत, आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन इकट्ठा करना या उन्हें समर्थन देना भी अपराध है।
भड़काऊ भाषण या गतिविधियाँ जो हिंसा को उकसाती हैं: UAPA के अंतर्गत, ऐसे भाषण या गतिविधियाँ जो हिंसा को उकसाती हैं या सामाजिक अशांति फैलाने का प्रयास करती हैं, उन्हें भी दंडनीय अपराध माना जाता है।
अरुंधति रॉय और शेख शौकत हुसैन के खिलाफ UAPA के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, जो भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन को दर्शाता है। इस मामले का भविष्य न्यायिक प्रणाली में कैसे आगे बढ़ता है, यह देखने योग्य होगा। वहीं, UAPA के प्रावधान और इसके अनुप्रयोग पर भी लगातार चर्चा और विश्लेषण की आवश्यकता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह कानून अपने उद्देश्य को सही तरीके से पूरा कर रहा है।
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