इन दिनों जबकि बोर्ड की परीक्षाएं चल रही है , ऐसे में 95 से 99% मार्क्स लाने के लिए परिवार और माता-पिता की ओर से बच्चों पर जो जोर दिया जाता है, वह बच्चे के अंदर परिणाम का डर पैदा करता है, इसके लिए जरूरी है कि, माता-पिता बच्चों की स्किल्स को पहचाने और उसे मोटिवेट करें।
सोमवार से 10th और 12th बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हो चुकी है। इन सभी बच्चों को श्रेष्ठ परिणाम लाने के लिए हार्दिक शुभकामनाएं देना जायज है ,लेकिन बोर्ड की और डिग्री के सालों की परीक्षा की चिंता छात्रों और अभिभावकों को परेशान करती है, जो माता-पिता और बच्चों के अंदर तनाव उत्पन्न करती है। जिस तरह तबले, ढोलक, नाल, सितार, गिटार जैसे वाद्य के तार कसने पर सुंदर सुरावली निकलती है,उसी तरह परीक्षा की तैयारी के लिए ऐसा टाइम टेबल सेट करना चाहिए कि ,जिसमे बच्चे को कुछ रिलैक्सिंग पल भी मिले।
यह कसाव उसके परीक्षा प्रदर्शन को बेहतर बनाएगा,जबकि तनाव उस पर हावी होकर प्रदर्शन को प्रभावित करेगा,क्योंकि बच्चा मानने लगता है कि इस परीक्षा में सफलता ही जीवन की सफलता है, और ऐसे में बच्चा अपनी स्वाभाविक क्षमता से परीक्षा का सामना नहीं कर पाता। माता-पिता की बड़ी बड़ी अपेक्षाओं के कारण कई बार परिणाम के तनाव के कारण बच्चा को खोने तक की नौबत आ जाती है।
माता पिता बच्चे को विश्वास दिलाए कि तुम अपना बेस्ट दो,तुम्हारी मेहनत रंग लायेगी, परिणाम चाहे जो भी हो,चिंता नही है,हम तुम्हारे साथ है।हार भी कई बार सफलता की सीढ़ी बन सकती है।परीक्षा को लेकर सभी भय और भ्रम निकल जायेंगे ,और माता पिता का यह विश्वास उसका आत्मविश्वास बढ़ाएगा।
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