दौर था 1964 का जब ब्लैक एंड व्हाइट पर्दें पर ‘दोस्ती’ फिल्म रिलीज हुई थी। इस फिल्म ने उस वक्त कई बड़े रिकॉर्ड तोड़े थे। ‘दोस्ती’ का सुपरहिट गाना ‘जाने वालों जरा मुड़के देखो’ सभी प्रेमियों का फेवरेट होगा। इस गाने को मोहम्मद रफी ने अपनी आवाज दी है और ये दो दोस्तों के ऊपर फिल्माया गया है। लेकिन, उस गाने में दिख रहे उन दो दोस्तों (एक्टर्स) के बारे में शायद ही आज के युवाओं को पता होगा। वे कौन हैं, उनका असली नाम क्या है। आज हम आपको इस स्टोरी में इस फिल्म के बारे में और उन दो सितारों के बारे में कुछ खास जानकारी देने जा रहे हैं।
‘दोस्ती’ ये फिल्म 1964 में राजश्री प्रोड्क्शन के बैनर तले बनी थी। इसके निर्देशक डायरेक्टर सत्येन बोस और प्रोड्यूसर ताराचंद बड़जात्या थे। फिल्म की कहानी बान भट्ट और गोविंद मूनिस ने लिखी थी। इस फैमिली म्यूजिक ड्रामा फिल्म में सुधीर कुमार सावंत और सुशील कुमार ने मेन रोल किया था। ये फिल्म दो दोस्तों की पक्की यारी पर बेस्ड थी, जिसमें एक दोस्त अंधा तो दूसरा लंगड़ा होता है। फिल्म में अंधे दोस्त मोहन का रोल सुधीर कुमार ने और बैसाखी का सहारा लिए लंगड़े दोस्त का किरदार सुशील कुमार ने निभाया था।
उस दौर में ‘दोस्ती’ फिल्म तीसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी थी। इस फिल्म ने राज कपूर और राजेंद्र कुमार की सुपरहीट फिल्म संगम को पटखनी दी थी। एक ओर संगम को फिल्मफेयर अवॉर्ड्स से नवाजा गया था। तो वहीं दूसरी ओर दोस्ती फिल्म ने 6 अवॉर्ड्स हासिल कर इतिहास रच दिया था। ‘दोस्ती’ को फिल्मफेयर अवॉर्ड्स 1965 में 7 कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया था। इसके साथ ही इसे नेशनल अवॉर्ड फॉर बेस्ट फीचर फिल्म इन हिंदी का अवॉर्ड से भी नवाजा गया। नए चेहरों को मौका देने वाली इस फिल्म को हर किसी ने अपना प्यार दिया था। 1964 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म संगम बनी वहीं दूसरे स्थान पर ‘आई मिलन की बेला’और तीसरे पायदान पर ‘दोस्ती’ रही।
आपने अंधे और लंगड़े दोस्तों की कहानी तो बहुत सुनी होगी, लेकिन इस फिल्म में उन्होंने जो दोस्ती की मिशाल कायम की उसने लोगों का दिल जीत लिया। रफी जी की आवाज में गाया गया ‘जाने वालों जरा मुड़के देखो’ गाना आज भी लोगों के जहन में बसा हुआ है। इस गाने में दिख रहे दो सितारे सुशील कुमार और सुधीर कुमार रातों रात चमकता हुआ सितारा बन गए। लेकिन, इस फिल्म के बाद इनके करियर की गाड़ी ज्यादा दूर तक नहीं चल पाई।
‘दोस्ती’ फिल्म के बाद ये दोनों सितारे ज्यादा किसी फिल्मों में दिखाई नहीं दिए। फिल्म में मोहन का रोल प्ले करने वाले सुधीर कुमार अब हमारे बीच नहीं हैं। 1993 में कैसर के चलते उनका निधन हो गया था। सुधीर कुमार मराठी परिवार से आते थे जो मुंबई के लालबाग, परेल इलाके में रहते थे। दोस्ती के बाद सुधीर ने फिल्म लाडला और जीने की राह जैसे फिल्मों में भूमिका निभाई थी। इतना ही नहीं वे लोकल सिनेमा का भी जाना माना नाम माने जाते थे। उन्होंने जानकी, अन्नपूर्णा और सुदर्शन, ची राणी जैसी मराठी फिल्मों में भी काम किया था।
इस फिल्म में विकलांग दोस्त की भूमिका निभाने वाले सुशील कुमार अभी भी हमारे बीच मौजूद हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वे अभी भी मुंबई में अपनी पत्नि के साथ रहते हैं। उनकी एक बेटी भी है जो अमेरिका में रहती है। फिल्म दोस्ती सुशील के लिए पहला मौका नहीं थे वे इससे पहले भी बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट कई फिल्में कर चुके थें। इसके साथ ही उन्होंने कला, बाजार, धूल का फूल, दिल भी तेरे, फिर सुबह होगी, श्रीमान सत्यवादी, संपूर्ण रामायण और फूल बने अंगारे में काम किया था।
आज जमाना हाईटेक हो गया है। कई नए-नए उपकरण मार्केट में हर रोज आ रहे हैं। इनसबके बावजूद सिक्सटीज के दौर में जो फिल्में बनी, जो गाने बने उसका आज भी लोगों के बीच क्रेज कम नहीं हुआ है। आज भी लोग उन फिल्मों के गाने उसी शौक के साथ सुनना पसंद करते हैं। ऐसे में उन गीतों और फिल्मों का उस वक्त क्या क्रेज था ये भी जानना जरूरी है।
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