31-10-2023
1947 वो दिन जब भारत से अंग्रेज तो चले गए पर ,भारत के दो टुकड़े कर के। जिसमे भी भारत में पुरे 565 छोटे बड़े राज्य थे । और इन सब को जोड़ने की जिमेदारी मिली सरदार वल्लभ भाई पटेल को ऊर्फ आईरन मेन ऑफ इंडिया। अगर सरदार पटेल ना होते तो शायद हमे आज दिल्ली से जयपुर जाने के लिए भी वीजा लेना पड़ता बात सुनने में अजीब हैं पर सच है। अंग्रेज चले तो गए पर भारत को ऐसी हालत में छोड़ के गए जहा भारत के पास खुद का कोई संविधान भी नहीं था।
भारत का संविधान 1950 में बना और पहले चुनाव 1951 में हुए। 1947-1949 के दोरन चली सरदार पटेल की जंग 565 राज्य को एक भारत देश बनाने की, जिसमे उनका साथ दे रहे थे वीपी मेनन जो उस दौरान सरदार पटेल के असिस्टेंट थे। सरदार पटेल ने पहले माउंटबेटन को एक स्पीच देने बोली जिसके अंदर उन्हें राज्यों को भारत में जुड़ने के फायदे बताने थे। जिसके बदले सरदार ने उन्हें भारत में उनकी छवि का लालच दिया। जुलाई 25 लॉर्ड माउंटबेटन ने चैंबर आफ प्रिंस में अपनी स्पीच दी। पर उसके बाद भी कुछ राज्य थे जिन्हे भारत का हिस्सा नहीं बनना था।
जूनागढ़
जूनागढ़ के नवाब मुहम्मद बहादुर खानजी भारत से ना जुड़ के पाकिस्तान के साथ जुड़ना चाहते थे। जहा पर शाह नवाज भुट्टो ने नवाब को और उक्साया और इस्तिहासकर यह भी कहते है की यह सब भुट्टो ,जिन्हा के कहने पर कर रह था। लेकिन जूनागढ़ की आबादी जो 80% हिन्दू थी, वे भारत का हिस्सा बन के रेहाना चाहते थे। मौके का फायेदा लेते हुए सरदार पटेल ने वीपी मेनन को भेज के मंगरोल और बाबरियावाद को भारत में शामिल करने के लिए मना लिया। जिसपे गुस्साए नवाब ने दोनो राज्य पे हमला कर दिया पर सरदार पटेल ने फोज को भेज दिया। जिसे जूनागढ़ के नवाब की परेशानी बढ़ गई। और वाहा के लोगो ने नवाब के खिलाफ़ आंदोलन शुरू कर दिया और जान का खतरा होने के चलते नवाब रातों रात कराची भाग गया
और जब 1948 में जूनागढ़ में चुनाव हुआ जिसमे 99.2% लोगोने भारत का हिस्सा बनने के लिए वोट डाला। जिसे जूनागढ़ भारत का हिस्सा बन गया।
जोधपुर
जोधपुर जो उस दौरान भारत का तीसरा बड़ा राज्य था ।और वाहा के राजा हनवंत सिंह राठौड़ भारत का हिस्सा तो बनते पर उन्हें ये लगा की पकिस्तान नया देश है तो वे उनके वेपार के लिए बेहतर होगा।
जिसपे राजा ने जिन्नाह को कराची पोर्ट उनको देने और कोई भी टैक्स ना लेने की मांग की जिसपे जिन्नाह ने हामी भी भर दी। लेकिन जेसे ही ये बात सरदार पटेल को पता चली जिसके बाद पटेल ने हनवंत को वही चीज़ भारत में रह के देने का भरोसा दिलाया और इस तरह जोधपुर भारत का हिस्सा बना।
भोपाल
भोपाल भारत में तो रहना चाहता था। पर नवाब हमीदुलाह खान भोपाल में खुद ही अपने हिसाब से राज करना चाहते थे जिसपे सरदार पटेल मान भी गए क्योंकि उन्हे पता था कि हमीदुलाह खान अच्छे से राज नही कर पाएंगे। और वही हुआ। भोपाल के लोगो ने नवाब का विरोध शुरू कर दिया जिसके बाद 19 अप्रैल 1949 में भोपाल भारत का हिस्सा बन गया।
ट्रॉवेंकेयर
ट्रावेंकेयर में राजा C.P. रामास्वामी आईयर थे। जिन्हे खुद एक देश चाहिए था और उनके पास कई नेचुरल रिसोर्सेस भी थे। 1946 उन्होंने भारत का हिस्सा बनने से मना कर दिया था। पर वाहा के लोग भारत में रहना चाहते थे। पर उस फेसले से उनपे जान से मारने की कोशिश होने लगी जिसके बाद सरदार पटेल के समझाने के बाद ट्रावेंकेयर भारत का हिस्सा बन गया।
हैदराबाद
हैदराबाद के निजाम ओसमान अली खान या तो पकिस्तान में मिलना चाहते थे या तो एक खुद का देश बनना चाहते थे। और सरदार पटेल को पता था की अगर ऐसा ही रहा तो हैदराबाद भारत के लिए कैंसर बन जायेगा क्योंकि निजाम ने अपनी खुद की फोज भी खड़ी कर दी थी रजाकर्स नाम से। निजाम तो हैदराबाद को कॉमनवेल्थ गेम्स में भी शामिल करना चाहते थे पर उस समय के तत्कालीन ब्रिटिश पीएम क्लीमेंट इटली ने इसलिए साफ तौर से मना कर दिया।
पर हैदराबाद के लोगों को ये बात अच्छी नहीं लगी पर निजाम आवाज उठाने वालो को मौत दे रहा था। जो जब सरदार पटेल के समझाने पर भी बात नहीं बनी तो सरदार पटेल ने आर्मी का सहरा लिया और 1948 में ऑपरेशन पोलो को अंजाम दिया और हैदराबाद को भारत में सामिल कर लिया
कश्मीर
कश्मीर के राजा हरि चंद कश्मीर को एक अलग देश बना ही रहे थे पर ऊनपर पकिस्तान ने हमला कर दिया जिसके बाद उन्हों ने सरदार पटेल से मदत मांगी जिस पर सरदार पटेल ने कश्मीर को भारत में मिलाने की माग रखी क्योंकि हरी चंद पाकिस्तान का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे । इसलिए कुछ मांग के साथ उन्होंने सरदार पटेल की बात मान ली और भारत की सेना ने पाकिस्तानी फोज को वापस खदेड़ दिया।
इसी तरह साम, दाम, दण्ड,भेद का उपयोग कर के सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारत को 565 से एक राष्ट्र बनाया पर अफसोस भारत का पहले इलेक्शंस से पहले 15 दिसंबर 1950 में इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
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