14-06-2023, Wednesday
हेम रेडियो एक ऐसी टेक्नोलॉजी है,जो आधुनिक टेक्नोलॉजी के फेल होने पर भी कारगर सिद्ध हो रही है।
इन दिनों गुजरात में बिपरजोय तूफान के कारण परिस्थिति विकट है।तूफानी हवाओं के कारण कई जगह आधुनिक टेक्नोलॉजी विफल हो जाती है ।ऐसे में हेम रेडियो की टेक्नोलॉजी मुख्य आधार है। अगर कभी भी कहीं भी मानवसर्जित या प्राकृतिक आपदा आती है ,तब हेम रेडियो स्टेशन संकट की घड़ी में सबसे बड़ा संबल सिद्ध हुआ है। इसके उपयोग से अनेकों आपदाएं टाली जा चुकी है ।आज की टेक्नोलॉजी और डिजिटल विकास के दौर में जब यह सभी तकनीकी जवाब देने लगती हैं, ऐसे में हेम रेडियो आधार बनता है। यह तकनीक अंतिम संबल है। किसी भी प्रकार की आपदा के समय सरकार हेम रेडियो पर ही निर्भर करती है। इस बार भी सरकार ने कच्छ में 2 ,पोरबंदर और मोरबी में एक एक टीम तैयार की गई है। हेम रेडियो के ऑपरेटर सरकारी तंत्र से जुड़े रहते हैं। हेम रेडियो स्टेशन कभी भी कहीं भी चंद घंटों में ही तैयार किया जा सकता है। ऑपरेटर्स दुनिया के किसी भी कोने में अपने हेम हैंड सेट से बात कर सकते हैं। सामान्य रेडियो स्टेशन से इसकी फ्रिकवेंसी बहुत ही ज्यादा होती है। अन्य रेडियो स्टेशन से हेम रेडियो सबसे अधिक पावरफुल और अत्याधुनिक है । बिपरजॉय तूफान में भी हेम रेडियो का संचालन हेमोप्रेटर करने वाले हैं।ये ऑपरेटर अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ होते हैं ।यह अपना स्टेशन कुछ ही समय में तैयार कर देते हैं। इन्हें बिजली या नेटवर्क की भी आवश्यकता नहीं होती। तूफान जैसी आफत में जब सभी कम्युनिकेशन सिस्टम बेकार हो जाती हैं ,तब हम रेडियो के जरिए कहां कितनी राहत पहुंचानी है इसकी सूचनाएं दी जाती है। हेम रेडियो का VHF ,UHF, और HF 20 फीट से 1 फीट तक का एंटीना होता है ।इसकी भाषा भी अलग है। D_DA इसकी खास भाषा है।विकट परिस्थिति में जब टाइप मैसेज भेजना भी मुमकिन नहीं होता, तब डॉट और डेश करके यह अपना संदेश हैंड सेट द्वारा पहुंचाते हैं ।इस एंटीना की फ्रीक्वेंसी कभी भी अटकती नहीं है। यह स्टेशन जनरेटर की मदद से ही चलते हैं। हेम रेडियो के लिए बिजली, नेट,संचार माध्यम की बिलकुल आवश्यकता नहीं है। गुजरात में केवल राजकोट में ही हेम रेडियो स्टेशन है।है विकट परिस्थितियों में हेम रेडियो ही एकमात्र आधार है।
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