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तमिलनाडु वालों को गुजरात लाने में मोदी की चाल

04-04-2023, Tuesday

गुजरात सरकार द्वारा 17 अप्रैल से 30 अप्रैल तक आयोजित किए गए सौराष्ट्र तमिल संगम कार्यक्रम पर गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने वडोदरा में पत्रकार परिषद को संबोधित किया।

सदियों पहले अपने पैतृक वतन सौराष्ट्र से पलायन कर तमिलनाडु में बसे सौराष्ट्रवासियों के समुदाय ने अपनी मूल मातृभूमि के साथ जुड़े रह कर सांस्कृतिक एकता, राष्ट्रीय एकात्मकता और भावात्मक एकता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस ऐतिहासिक और राष्ट्रीय एकता के महत्व को प्रेरक घटना के रूप में पुन: उजागर करने के लिए इस सौराष्ट्र तमिल संगम के समग्र आयोजन का मन बनाया है।

आगामी 17 से 30 अप्रैल के दौरान सोमनाथ तीर्थ धाम में यह भव्य कार्यक्रम आयोजित होने वाला है। इसमें सहभागी होने तथा भगवान सोमनाथ सहित द्वारिकाधीश के दर्शन का लाभ लेने वाले श्रद्धालुओं के लिए 14 अप्रैल से मदुरै से विशेष ट्रेन की शुरुआत होने वाली है। इस विशेष ट्रेन से लगभग 250 से 300 व्यक्तियों की एक-एक बैच गुजरात आएगी। सोमनाथ आने वाले सभी यात्रियों के लिए सोमनाथ महादेव के सामूहिक दर्शन-पूजन, लाइट एण्ड साउण्ड शो निदर्शन के अलावा हैण्डलूम व हैण्डीक्राफ़्ट एक्सपो-शॉपिंग फ़ेस्टिवल का आयोजन किया गया है। सोमनाथ के समुद्र तट पर कबड्डी, खो-खो, रस्साखींच, वॉलीबॉल जैसे मनोरंजक और परम्परागत खेल भी आयोजित होने वाले हैं।

राज्य सरकार के शिक्षा, उद्योग, युवा गतिविधि एवं सांस्कृतिक विभागों द्वारा थीम सेमिनार आयोजित कर सौराष्ट्र तमिल संगम में सहभागी यात्रियों को गुजरात के इन सभी क्षेत्रों की सर्वांगीण विकास यात्रा से अवगत कराया जाएगा। इतना ही नहीं, युवा खिलाड़ियों, व्यापार-उद्योग जगत से जुड़े व्यवसायियों, शिक्षकों, विद्यार्थियों के साथ सम्बद्ध विषयों पर परस्पर संवाद तथा वैचारिक आदान-प्रदान भी किया जाएगा। सौराष्ट्र तमिल संगम में सहभागी होने वाले लोगों को सोमनाथ महादेव के अलावा द्वारिकाधीश मंदिर, नागेश्वर, शिवराजपुर बीच की यात्रा पर ले जाने का आयोजन किया गया है। इन प्रवासियों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से निर्मित सरदार पटेल की विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ़ यूनिटी देखने के लिए भी ले जाया जाएगा।

भाजपा का कहना है कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य तमिलनाडु और गुजरात के बीच ‘प्राचीन संबंधों’ को दर्शाना है, हालांकि, इसे 2024 के लोकसभा और कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले तमिल मतदाताओं को लुभाने के एक प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।