15-07-22
भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली का नाम सफलता का पर्यायवाची माना जाता है। बेहद कामयाब बल्लेबाज, बेहद सफल कप्तान, लेकिन अब विराट कोहली के नाम का मतलब आराम हो गया लगता है। हर साल कई बार हमें खबर मिलती है कि फलां सीरीज से विराट कोहली को आराम दे दिया गया है। ताजा मामला वेस्टइंडीज दौरे का है।इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज खत्म करने के बाद भारतीय टीम वेस्टइंडीज जाएगी। वहां पहले तीन वनडे मैच खेले जाएंगे और फिर पांच टी-20 इंटरनेशनल मैचों की सीरीज होगी। वहां होने वाले वनडे मैचों से कई अहम खिलाड़ियों को ब्रेक दिया गया, लेकिन अक्टूबर में ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी-20 वर्ल्ड कप को ध्यान में रखते हुए सिलेक्टर्स चाहते थे कि वेस्टइंडीज में होने वाली टी-20 सीरीज में फुल स्ट्रेंथ भारतीय टीम उतरे, लेकिन नहीं। कोहली को आराम चाहिए था। उन्हें आराम दे भी दिया गया है।
विराट कोहली 2015 में टेस्ट टीम के कप्तान बने। 2017 से वे WHITE BALL क्रिकेट में भी कप्तान बना दिए गए। इसलिए हमने विराट के आराम लेने के सिलसिले का विश्लेषण 2015 से ही किया है। 1 जुलाई 2015 से भारतीय टीम ने 311 इंटरनेशनल मैच खेले। इनमें से 73 मुकाबलों में विराट नदारद रहे। यानी इस दौरान वे भारत के करीब एक चौथाई (23%) मैचों में नहीं खेले। कुछ मौकों पर चोटिल रहने के कारण उन्हें बाहर रहना पड़ा लेकिन ज्यादातर अवसर पर वे आराम लेने या दिए जाने के कारण उपलब्ध नहीं थे।
बेस्ट बल्लेबाज आराम ले तो टीम पर बुरा असर होना चाहिए। लेकिन, भारतीय क्रिकेट की ताकत अब ऐसी हो गई है कि विराट कोहली के आराम का कोई निगेटिव इम्पैक्ट नहीं पड़ता है। उल्टा भारतीय टीम की जीत की दर और भी बढ़ जाती है। विराट के होने से भारतीय टीम जितने मुकाबले जीतती है उनके न होने से इसमें 17% का इजाफा हो जाता है।
विराट कोहली लंबे समय से फॉर्म में नहीं हैं। पिछले 3 साल से उनके बल्ले से एक भी शतक नहीं निकला है। ऐसे में वे जितना आराम लेते हैं और जिस तेजी से नए-नए टैलेंटेड खिलाड़ी सामने आ रहे हैं, एक डर काफी गहरा होता जा रहा है। डर यह कि कहीं विराट कोहली का आराम परमानेंट न हो जाए।
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