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Thursday, November 7   9:36:40

9th Sikh Guru- Guru Teg Bahadur 400th Prakash Purab

भारत अपने अलग अलग धर्मों से जाना जाता है। धर्म अनेक हैं लेकिन इंसान सब एक हैं। सभी धर्मों को भारत में समान नजरिए से देखा जाता है। लेकिन कहीं न कहीं यह सभी बाते कागज़ी लगती है,जिसका गवाह भारत का खौफनाक इतिहास है। भारत में धर्म के नाम पर बहुत ही क्रुर दंगे हुए हैं. यह दंगे ना सिर्फ भारत की धर्म-निरपेक्षता पर बहुत बड़ा सवाल खड़ा करते हैं बल्कि यह दंगे उस देश में हो रहे हैं जहा महापुरुषों ने अपने जीवन का बलिदान तक देकर धर्म की रक्षा की है। और जब धर्म के नाम पर मर मिटने की बात आती है तब सिख समुदाय के 9वे गुरु, गुरु तेग बहादुर जी का नाम सामने जरूर आता है जिन्होंने , अपने धर्म को बचाने के लिए अपना सर तक कुर्बान कर दिया था।
विश्व इतिहास में धर्म, मानवीय मूल्यों, आदर्शों एवं सिद्धांतों की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेग बहादुर साहब का स्थान अद्वितीय है। 9अप्रेल को तेग बहादुरजी की जयंती मनाई जाती है। सिख धर्म के नौवें धर्म-गुरु सतगुरु तेग बहादुरजी का जन्म बैसाख पंचमी संवत 1678 को अमृतसर में गुरु हरगोबिंद साहिबजी के घर हुआ। उनके जीवन का प्रथम दर्शन यही था कि धर्म का मार्ग सत्य और विजय का मार्ग है।

यह बात औरंगजेब के शासन काल की है। जब औरंजेब ने सभी लोगों को इस्लाम धर्म स्वीकार करने के लिए कहा था, लेकिन यह बहादुर जी उसके लिए त्यार नहीं थे, जिसके चलते उन्होंने औरंगजेब को ऐसा कहा था की ” यदि तुम ज़बरदस्ती लोगों से इस्लाम धर्म ग्रहण करवाओगे तो तुम सच्चे मुसलमान नहीं हो क्योंकि इस्लाम धर्म यह शिक्षा नहीं देता कि किसी पर जुल्म करके मुस्लिम बनाया जाए”।
जिसको सुनकर आगबबूला हो गया. उसने दिल्ली के चांदनी चौक पर गुरु तेगबहादुर जी का शीश काटने का हुक्म ज़ारी कर दिया और गुरुतेग बहादुर जी ने हंसते-हंसते बलिदान दे दिया।
उनके इस बलिदान को याद करते हुए आज पूरा भारतवर्ष उनकी दी हुई सिक्स और बातो को याद करते हुए आज 400 वा प्रकाश पर्व माना रहा है।