पूरी दुनिया में 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस मनाया जाता है। वर्ल्ड वेटलैंड डे का आयोजन आर्द्रभूमि की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसके सकारात्मक पहलुओं को उजागर करने के उद्देश्य से किया जाता है। समूचे विश्व में अलग-अलग क्षेत्र है, कहीं पहाड़ तो कहीं झरने, कहीं रेत तो कही समंदर। और इन्हीं में से एक खास दिन मनाया जाता है विश्व आर्द्रभूमि दिवस। आइए जानते हैं इस दिवस के बारे में –
क्या होता है आर्द्रभूमि दिवस?
आर्द्रभूमि वह क्षेत्र होता है जहां जल भरा रहता है। देखा जाए तो नदी, झील, तालाब के किनारे का हिस्सा वेटलैंड का होता है। इसके कई सारे फायदे होते हैं। भारत में वेटलैंड मध्य भारत के कटिबंधीय मानसूनी इलाकों से लेकर दक्षिण के नमी वाले इलाकों तक फैली हुई है। वेटलैंड कई प्राकृतिक चक्रों को बनाए रखने में मदद करते हैं। ये चावल की खेती करने में भी करते हैं।
आइए जानते हैं इतिहास
प्राकृतिक स्त्रोतों की खराब स्थितियों को देखते हुए वेटलैंड दिवस मनाने का फैसला किया गया था। 2 फरवरी 1971 में ईरान के रामसर में वेटलैंड कन्वेंशन को फॉलो किया गया और वेटलैंड के संरक्षण के लिए संधि बनाकर हस्ताक्षर किए गए। इसके बाद से हर साल सरकारी एजेंसियों, गैर सरकारी संगठनों और समुदाय के सभी स्तरों पर लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जाने लगा। वेटलैंड्स जंतु ही नहीं बल्कि पौधों की दृष्टि से भी यह जरूरी है। वेटलैंड वनस्पतियों और औषधीय पौधों के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
वेटलैंड से होने वाले लाभ
– आर्द्रभूमि के बहुत सारे फायदे हैं। इससे जल प्रदूषण मुक्त रहता है। प्रदूषित पानी को साफ करती है।
– तटरेखाओं की रक्षा करती है और बाढ़ के खतरे को कम करने में मदद करती है।
– यह जल चक्र के कामकाज को सुनिश्चित करती है।
– इससे भू-जल जलवाही का पुनर्भरण करने में मदद करते हैं।
– यह उपयोगी वनस्पतियों और औषधीय पौधों के उत्पादन में अहम भूमिका निभाते हैं।
– इनमें जैविक विविधता और व्यापक खाद्य श्रृंखला उन्हें ‘जैविक सुपरमार्केट’ बनाते हैं।
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