09 Mar. Uttarakhand: उत्तराखंड में इस वक़्त बहुत ही हलचल मची हुई है और इस हलचल का कारण उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत आज शाम चार बजे राज्यपाल बेनी रानी मोर्या से मुलाकात करेंगे। खबर है कि इस मुलाकात में रावत अपना त्याग पत्र राज्यपाल को सौंपेंगे। सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय नेतृत्व ने यह फैसला लिया है। नया मुख्यमंत्री चुनने के लिए जल्दी ही उत्तराखंड विधायक दल की बैठक भी होगी। अगले CM के लिए अनिल बलूनी, धन सिंह रावत और अजय भट्ट का नाम आगे आ रहा है। साल 2000 में राज्य के गठन के बाद से कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी के अलावा कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है।
सूत्रों के अनुसार, पार्टी विधायकों ने उत्तराखंड पहुंच पर्यवेक्षकों से दो दिन पहले यह आशंका जताई थी कि अगर त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री रहे तो अगला चुनाव पार्टी हार सकती है। पार्टी पर्यवेक्षक के रूप में दुष्यंत कुमार गौतम और रमन सिंह ने देहरादून जाकर पार्टी विधायकों से बात की थी।
सीएम की रेस में कौन-कौन है शामिल
सियासत की उठापटक के साथ, CM की रेस में कुछ प्रत्याशियों के नाम आगे आ रहे हैं। राज्य मंत्री सतपाल महाराज का नाम भी इस रेस में बताया जा रहा है। वहीं, चर्चा ये भी है कि अगर धन सिंह रावत और सतपाल महाराज में से किसी एक नाम पर सहमति नहीं बनी तो नैनीताल से सांसद अजय भट्ट और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी में से किसी एक को राज्य की बागडोर सौंपी जा सकती है।
राज्य के गठन के बाद से ही अस्थिरता का माहौल देखा जा रहा है
2000 में राज्य के गठन के बाद से कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी के अलावा कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल अब तक पूरा नहीं कर पाया है। राज्य में भाजपा का तीसरी बार मुख्यमंत्री बना है, लेकिन पार्टी का एक भी मुख्यमंत्री पांच साल तक कुर्सी पर टिका नहीं रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय उत्तराखंड में पहली बार भाजपा सरकार बनी थी।
उत्तरप्रदेश से अलग होने के बाद उत्तराखंड में भाजपा की सरकार बनी। इस दौरान दो साल के भीतर ही दो मुख्यमंत्री बन गए। सबसे पहले नित्यानंद स्वामी 9 नवंबर 2000 को मुख्यमंत्री बने। इसके एक साल बाद ही भाजपा के नेताओं ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्हें 29 अक्टूबर 2001 को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद भाजपा ने उस समय के दिग्गज नेता भगत सिंह कोश्यारी को विधायक दल का नेता चुना।
कोशियारी ने 30 अक्टूबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद वह 1 मार्च 2002 तक राज्य की मुख्यमंत्री का पद संभाला। 2002 में विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें भाजपा कोश्यारी के नेतृत्व में राज्य का चुनाव लड़ी थी। इस चुनाव में सत्ता खिसकर कांग्रेस हाथ चली गई। कोश्यारी 123 दिन तक ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे। 2002 चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री बने और पांच साल, यानी 2007 तक मुख्यमंत्री रहे।
2007 में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। भाजपा को राज्य में पूर्ण बहुमत मिला। इस दौरान पांच साल के कार्यकाल में तीन बार मुख्यमंत्री का चेहरा बदला गया। 8 मार्च 2007 को भाजपा ने भुवनचंद्र खंडूरी मुख्यमंत्री बने, लेकिन 23 जून 2009 को उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद उनकी जगह 24 जून 2009 को भाजपा ने रमेश पोखरियाल निशंक को मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन चुनाव से 4 महीने पहले उनकी कुर्सी चली गई। उनकी जगह दोबारा 10 सितंबर 2011 को भुवनचंद्र खंडूरी को मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन 2012 के चुनाव में भाजपा की वापसी नहीं हुई। कांग्रेस की सरकार बनी।
5 साल में दो मुख्यमंत्री बदले गए। वहीं, 13 मार्च 2012 को विजय बहुगुणा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, इसके दो वर्ष बाद उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी। 1 फरवरी 2014 को हरीश रावत मुख्यमंत्री बने, लेकिन पार्टी की अंदर खाने की राजनीति से जूझ रहे रावत को विधायकों की बगावत के बाद पद से इस्तीफा देना पड़ा। 2016 में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा।
रावत को कोर्ट से राहत मिली और बाद में मुख्यमंत्री बने। 2017 में फिर से राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ। भाजपा की सरकार बनी। इसके बाद 18 मार्च 2017 को त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया था। तब से त्रिवेंद्र सिंह रावत राज्य में मुख्यमंत्री हैं। त्रिवेंद्र सिंह राज्य की सत्ता में सबसे ज्यादा सत्ता तक मुख्यमंत्रियों रहने वाले मुख्यमंत्रियों में से एक हैं, लेकिन 4 साल बाद ही अब उनकी कुर्सी पर भी खतरा मंडरा रहा है।
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