03-12-2022, Saturday
विश्व की सबसे बड़ी केमिकल रिसाव की त्रासदी भोपाल में आज से 37 साल पहले हुई।जिसमे हजारों लोगो ने जान गवाई। उन पीड़ितों की याद में आज का दिन, भोपाल गैस त्रासदी दिन के रूप में मनाया जाता है।
भोपाल में 37 साल पहले सन 1984 की दो-तीन दिसंबर की रात मौत का तांडव बनकर आई।लोग घरों में चैन की नींद सो रहे थे और देर रात जेपी नगर में यूनियन कार्बाईड फैक्ट्री के प्लॉट नंबर सी के टैंक नंबर 610 से मिथाइल आइसोसाएनाइड गैस का धमाके के साथ रिसाव हुआ। फैक्टरी के ठीक सामने जेपी नगर में मौत का तांडव हुआ।लोगों की चीख पुकार के साथ जेपी नगर में तड़प तड़प कर मौत की आगोश में खो चुके लोगो की लाशों का ढेर लग गया। जिन्हें ढोने के लिए गाड़ियां भी कम पड़ी।
आज इस भोपाल कांड की 38वीं बरसी है।जिसके बाद आज एक बार फिर से यह दर्द ताजा हो गया है। इतने सालों बाद आज भी लोग लकवा, कैंसर, शुगर, दिव्यांगता ,और अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं।
भोपाल का वार्ड नंबर 36 उस दिन सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ।कई घर उजड़ गए। 3787 लोगों की 24 घंटे में ही मौत हो गई। जहर से प्रभावित अन्य 35000 लोगों की मौतें हुई। यह तो महज सरकारी आंकड़ा है।
इस घटना के बाद कोर्ट केस हुआ,लेकिन यूनियन कार्बाइड का मालिक अमेरिका भाग गया,5,74,387 लोगों को मुआवजा भी मिला।लेकिन ये मुआवजा गैस काण्ड के मुकाबले कुछ भी नही।आज भी लोग मुआवजे की रकम 6 लाख करने की मांग कर रहे है।उस त्रासदी का दंश भोपाल वासी कभी भी भुला नहीं पायेंगे।
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