06 Apr. Vadodara: राजकोट सहित सौराष्ट्र और गुजरात में कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है। राजकोट शहर में प्रतिदिन लगभग 200 से 300 मामले सामने आ रहे हैं, जबकि 15 से 19 मरीज मर रहे हैं। जैसा कि कोरोना की स्थिति वर्तमान में एक पीक पर है, ऐसे में सरकार और प्रणाली भी चिंतित हैं और कोरोनावायरस चेन को तोड़ने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
विभिन्न विद्यालयों के प्रधानाचार्यों, प्राचार्यों और अधिकारियों के साथ एक इंटरव्यू के दौरान बातचीत की और उनकी बातों को समझने की कोशिश की, जिसमें चौंकाने वाली बात यह थी कि यदि यह स्थिति बनी रही, तो शारीरिक (फिजिकल) परीक्षा नहीं ली जा सकती, यानी कोरोना का संक्रमण नहीं रुकेगा। अगर छात्रों का परीक्षा समय भी स्थगित हो जाए तो परेशानी वाली बात होगी।
अभिभावक ऑफलाइन परीक्षा के लिए सहमत नहीं
गुजरात स्वनिर्भर स्कूल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के उपाध्यक्ष जतिनभाई भारडे ने एक न्यूज़ एजेंसी को दिए इंटरव्यू में बताया कि, स्कूल बोर्ड ने सरकार से चर्चा की थी कि कैसे कक्षा 1 से 8 और 9 से 12 के छात्रों के लिए परीक्षा आयोजित की जाए। सरकार ने तब कहा था कि इस समय निर्णय लेना अनुचित है, लेकिन इस स्थिति के आधार पर निर्णय 15 दिनों के बाद घोषित किए जाने की संभावना है।
वर्तमान स्थिति को देखते हुए, कोई भी स्कूल या कोई भी अभिभावक छात्रों की शारीरिक ऑफ़लाइन परीक्षा के लिए सहमत नहीं है। सरकार ने 9 से 12 बजे तक परीक्षा समय की घोषणा की है, लेकिन कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों को सामूहिक पदोन्नति या अगली इकाई परीक्षण के आधार पर परिणाम दिए जाने की उम्मीद है।
संभव है की 1 से 8 के छात्रों को मास प्रमोशन दिया जाए
राज्य सरकार द्वारा अभी तक कक्षा 1 से 8 के छात्रों की परीक्षा के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इससे पहले, सरकार द्वारा एक इकाई परीक्षण किया गया था जिसमें छात्रों के घरों तक प्रश्न पत्र पहुंचाए गए थे। हाल में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए अब लोग गंभीरता से विचार कर रहे हैं। यह माना जा रहा है की विद्यार्थियों को फिर से कल परीक्षा देनी पड़े ऐसी कोई आशंका नहीं है, लेकिन विद्यार्थियों के स्वास्थ्य और शिक्षा को ध्यान में रखने की लिए पिछली ली गई कसौटी के परिणाम को ध्यान में रखकर पास कर दिया जाएगा या तो फिर एक बार प्रश्न पत्र को घर तक पहुंचा कर परीक्षा ली जाने की संभावना है। यूँ अगर देखा जाए तुम मुश्किल भरा और चुनौती भरा यह वक्त रहेगा क्योंकि विद्यार्थियों को घर-घर तक प्रश्न पत्र देना भी एक रिस्क हो सकता है क्योंकि शिक्षक को में भी संक्रमण के लक्षण पाए जा सकते हैं। इस माहौल के बीच कक्षा 1 से आठ के विद्यार्थियों को अगर मास प्रमोशन दे दिया जाए तो कोई अचंभे की बात नहीं होगी।
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