चुनावी चहल पहल में आज बात करेंगे महिलाओं को लोकसभा की उम्मीदवारी के लिए क्या पार्टियां 33% के कोटा को पूर्ण कर रही है या नहीं।
महिला सशक्तिकरण की बातों को आज हर क्षेत्र में बढ़ावा दिया जा रहा है। जिसमें राजनीति भी पीछे नहीं है। 33% महिला आरक्षण को बढ़ावा देने सरकार द्वारा अन्य क्षेत्रों पर जोर डाला जा रहा है, लेकिन क्या राजनीति और चुनावी जंग में महिलाओं को वह स्थान मिल रहा है? देश की अधिकतम राजनीतिक पार्टियां इस बार के लोकसभा चुनावों के लिए महिला उम्मीदवारों को टिकट देने में कुछ हद तक पीछे हट रही हैं।
बात करें भारतीय जनता पार्टी की तो भाजपा के 417 उम्मीदवारों में से केवल 16% महिलाएं चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस के 182 उम्मीदवारों में से 11% महिलाएं चुनावी मैदान में है। सिर्फ बीजेडी एसी पार्टी है , जिसने दूसरी बार महिलाओं को 33% टिकट्स चुनाव के लिए बांटे हैं ।
इस सूची में देश की सबसे बड़ी पार्टियां मानी जाने वाली भाजपा और कांग्रेस भी पीछे नजर आ रही हैं। जहां महिलाओं को टिकट दिया गया ,वह भी कई जगह विवाद के चलते वापिस ले लिया गया।लेकिन उसकी जगह दूसरी महिला को टिकट देने के बजाए पुरुष उम्मीदवार को खड़ा किया गया है।
आजादी के बाद भारत की प्रथम सांसद में केवल 4. 4% महिला सांसद थी,जो 2019 में बढ़कर 14% हुई। महिलाओं को भले ही पार्टियों कम टिकट दिए हों, फिर भी जीत तो इनकी ही हुई है।
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