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‘कुंभकर्ण एक वैज्ञानिक थे, पुष्पक विमान भारत का प्राचीन आविष्कार था’ आनंदीबेन पटेल के दावों पर एक नज़र

लखनऊ में आयोजित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल और गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने इतिहास पर कुछ ऐसे दावे किए, जिन्होंने श्रोताओं और देश भर में चर्चा का विषय बना दिया। उनके भाषण में भारतीय पौराणिक कथाओं और विज्ञान के बीच रोचक संबंधों की बात की गई।

कुंभकर्ण: वैज्ञानिक या पौराणिक पात्र?

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि रावण के भाई कुंभकर्ण के 6 महीने सोने की कहानी केवल एक मिथक है। उन्होंने दावा किया कि कुंभकर्ण एक तकनीकी विशेषज्ञ और वैज्ञानिक थे। उन्होंने कहा, “कुंभकर्ण गुप्त रूप से हथियार बनाते थे और प्रयोगशाला में 6 महीने काम करते थे। यह छिपाने के लिए कि वह क्या कर रहे हैं, रावण ने अफवाह फैलाई कि वह 6 महीने तक सोते थे।”

यह दावा पौराणिक कहानियों और आधुनिक व्याख्या के बीच के जटिल संबंधों पर विचार करने को मजबूर करता है। कुंभकर्ण को अक्सर उनकी नींद के लिए याद किया जाता है, लेकिन क्या वह असल में एक टेक्नोक्रेट हो सकते हैं?

पुष्पक विमान: प्राचीन भारत का हवाई जहाज?

पटेल ने पुष्पक विमान का भी जिक्र किया, जिसे रावण ने सीता को लंका ले जाने के लिए उपयोग किया था। उन्होंने कहा कि यह आविष्कार 5,000 साल पुराना है। उन्होंने कहा, “हमारे पूर्वजों ने जो तकनीकें विकसित कीं, उन्हें विदेशों ने चुरा लिया और आज हम उन तकनीकों को उनके नाम से जानते हैं। पुष्पक विमान इसका एक प्रमाण है।”

हालांकि यह दावा ऐतिहासिक साक्ष्यों के बजाय पौराणिक कथाओं पर आधारित है, लेकिन यह भारत के गौरवशाली अतीत को आधुनिक दृष्टिकोण से देखने की कोशिश है।

शिवकर बापूजी तलपड़े और भारद्वाज का विमान शास्त्र

पटेल ने दावा किया कि दुनिया का पहला हवाई जहाज राइट बंधुओं ने नहीं, बल्कि भारत के ऋषि भारद्वाज ने बनाया था। उन्होंने कहा, “शिवकर बापूजी तलपड़े ने 1895 में मुंबई के चोपाटी में मानव रहित विमान उड़ाया था। ऋषि भारद्वाज ने इससे पहले ही विमान बनाने का सिद्धांत दिया था।”

ऐतिहासिक रूप से, तलपड़े का नाम भारतीय विमानन इतिहास में जरूर आता है, लेकिन इसे पुष्ट करने वाले प्रमाण बेहद कम हैं।

भारत का प्राचीन इतिहास और आधुनिक सोच

आनंदीबेन पटेल का यह भाषण भारतीय इतिहास को नई दृष्टि से देखने का प्रयास था। उन्होंने यह तर्क दिया कि भारतीय संस्कृति और परंपराएं आधुनिक विज्ञान से कहीं आगे थीं। उन्होंने कहा, “हमारे बच्चों को गलत इतिहास पढ़ाया गया है। अब समय आ गया है कि सही तथ्यों को सामने लाया जाए।”  उन्होंने रामपुर स्थित रज़ा लाइब्रेरी का भी उल्लेख किया, जहां उन्होंने प्राचीन भारतीय ग्रंथों में रंगीन पाठ और चित्रों के प्रमाण देखे।

आनंदीबेन पटेल के दावों ने भारतीय इतिहास और पौराणिक कथाओं पर चर्चा को फिर से जीवंत कर दिया है। यह भाषण सवाल तो उठाता है, लेकिन साथ ही यह भी दिखाता है कि भारतीय संस्कृति और विज्ञान के समृद्ध इतिहास को फिर से जानने और समझने की जरूरत है।

क्या ये दावे ऐतिहासिक प्रमाणों पर आधारित हैं, या केवल पौराणिक कल्पनाओं का विस्तार हैं? यह सवाल चर्चा का विषय रहेगा।

वहीं नआलोचकों का मानना है कि इस तरह के दावे ऐतिहासिक तथ्यों और पौराणिक कथाओं के बीच भ्रम पैदा कर सकते हैं। वहीं, उनके समर्थकों का कहना है कि यह भारतीय गौरव को समझने का एक नया नजरिया है।