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Thursday, February 27   2:50:59

सेवा में कोई भूल हुई हो तो माफ करिए: PM मोदी का महाकुंभ समापन पर बयान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज में संपन्न हुए महाकुंभ को लेकर एक ब्लॉग लिखा है, जिसमें उन्होंने इस आयोजन को “एकता का महाकुंभ” बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि समाज के हर वर्ग और हर क्षेत्र के लोग इस महाकुंभ में एकजुट हुए। इस आयोजन की सफलता को लेकर वे सोमनाथ दर्शन के लिए जाएंगे और सभी भारतीयों के लिए प्रार्थना करेंगे।

“महाकुंभ संपन्न हुआ। एकता का महायज्ञ संपन्न हुआ। प्रयागराज में एकता के महाकुंभ में पूरे 45 दिनों तक जिस तरह 140 करोड़ देशवासियों की आस्था इस पर्व से जुड़ी, वह अद्भुत है! महाकुंभ के पूर्ण होने पर जो विचार मन में आया, उसे मैंने शब्दों में पिरोने का प्रयास किया है।”
अपने इस ब्लॉग में प्रधानमंत्री मोदी ने जनता से माफी भी मांगी है।

एकता का महायज्ञ संपन्न
PM मोदी ने ब्लॉग में लिखा,”महाकुंभ संपन्न हुआ। एकता का महायज्ञ संपन्न हुआ। अब एक राष्ट्र की चेतना जागृत हुई है। जब कोई राष्ट्र सैकड़ों वर्षों की गुलामी की मानसिकता के बंधनों को तोड़कर नए उत्साह और ऊर्जा के साथ आगे बढ़ता है, तो ऐसा ही दृश्य उत्पन्न होता है, जैसा हमने 13 जनवरी से प्रयागराज में एकता के इस महाकुंभ में देखा।”

उन्होंने आगे कहा, “22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान मैंने ‘देवभक्ति के साथ देशभक्ति’ की बात कही थी। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान देवी-देवता, संत-महात्मा, बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्ग—सभी जुड़े और हमने राष्ट्र की जागरूक चेतना का साक्षात्कार किया। यह महाकुंभ वास्तव में एकता का महाकुंभ था, जहां 140 करोड़ भारतीयों की आस्था एक साथ इस पर्व से जुड़ी।”

करोड़ों देशवासियों में आत्मविश्वास का जागरण
प्रधानमंत्री ने आगे लिखा,”तीर्थराज प्रयाग का यह क्षेत्र एकता, समरसता और प्रेम का प्रतीक है। यह वहीं स्थान है, जहां प्रभु श्रीराम और निषादराज का मिलन हुआ था। यह प्रसंग इतिहास में भक्ति और सद्भावना के संगम के रूप में अंकित है। प्रयागराज का यह तीर्थ आज भी हमें एकता और समरसता की प्रेरणा देता है।”

उन्होंने कहा,”महाकुंभ में हर श्रद्धालु, चाहे वह गरीब हो या संपन्न, बच्चा हो या बुजुर्ग, देश-विदेश से आया हो, गांव या शहर का निवासी हो, उत्तर-दक्षिण या पूर्व-पश्चिम से जुड़ा हो, किसी भी जाति या विचारधारा का हो—सबने एक होकर इस महायज्ञ में भाग लिया। ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की यह भव्य झलक करोड़ों देशवासियों के आत्मविश्वास को और मजबूत करने वाला पर्व बन गई। अब हमें इसी तरह एक होकर विकसित भारत के महायज्ञ में शामिल होना है।”

“मैं जनता से माफी मांगता हूं…”
प्रधानमंत्री मोदी ने ब्लॉग में जनता से माफी मांगते हुए लिखा,”मैं जानता हूं कि इतना विशाल आयोजन करना आसान नहीं था। मैं मां गंगा, मां यमुना, मां सरस्वती से प्रार्थना करता हूं कि अगर हमारी आराधना में कोई कमी रह गई हो तो हमें क्षमा करें…! जनता-जनार्दन, जो मेरे लिए ईश्वर के समान है, अगर हमारी सेवा में कोई कमी रह गई हो तो मैं जनता-जनार्दन से माफी मांगता हूं।”

नदियों की स्वच्छता पर विशेष जोर
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ब्लॉग में नदियों की स्वच्छता को लेकर भी विचार साझा किए। उन्होंने लिखा,”जब मैं काशी चुनाव के दौरान गया था, तो मेरे मन के भाव शब्दों में प्रकट हुए थे—‘मां गंगा ने मुझे बुलाया है।’ इसमें एक जिम्मेदारी का भाव भी था, हमारी माताओं समान नदियों की पवित्रता और स्वच्छता को बनाए रखने की जिम्मेदारी।”

उन्होंने आगे कहा,”प्रयागराज में गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम पर मेरा यह संकल्प और दृढ़ हुआ है। गंगा, यमुना और हमारी अन्य नदियों की स्वच्छता हमारे जीवन से सीधा जुड़ी है। हमारी जिम्मेदारी बनती है कि चाहे नदी छोटी हो या बड़ी, उसे जीवनदायिनी मां के रूप में मानें और उसकी रक्षा करें। एकता के इस महाकुंभ ने हमें हमारी नदियों को स्वच्छ बनाए रखने और इस अभियान को मजबूत करने की प्रेरणा दी है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महाकुंभ को भारतीय एकता और आस्था का प्रतीक बताया। उन्होंने श्रद्धालुओं, संतो, महात्माओं और सभी नागरिकों की सहभागिता की सराहना की। साथ ही, अगर इस आयोजन में कोई कमी रह गई हो, तो उसके लिए जनता से क्षमा भी मांगी। उन्होंने नदियों की स्वच्छता के महत्व को भी रेखांकित किया और ‘विकसित भारत के महायज्ञ’ के लिए सभी को एक साथ आगे बढ़ने का संदेश दिया।