उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर हुआ विवाद रविवार को हिंसक हो चला है। इसमें अब तक चार लोगों की जानें जा चुकी हैं वहीं 20 लोगों की हालत गंभीर है। प्रदर्शनकारियों के साथ इसमें कई सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं। गुस्साई भीड़ ने पुलिस पर पथराव और आगजनी की इसके बाद स्थिति बिगड़ गई और पुलिस को इसे नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा। फिलहाल इस मामले में दो महिलाओं समेत 15 लोगों को हिरासत में लिया गया है। सिस्टम ने 12वीं कक्षा तक के स्कूलों को बंद करने और इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है।
इस विवाद के बाद देश के हर नागरिकों की निगाहें संभल जामा मस्जिद के इतिहास की ओर नजरबंध हो चली होंगी। तो आइए जानते हैं क्या है पूरा विवाद और इससे जुड़ा इतिहास।
विवाद की कहानी
पुलिस के मुताबिक यह घटना उकसावे का नतीजा है और हिंसा के आरोपियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NSA) के तहत कार्रवाई की जाएगी। संभल हिंसा में एक कांस्टेबल के सिर में गंभीर चोट लगी और एक डिप्टी कलेक्टर का पैर टूट गया। हालांकि, सड़क के किनारे खड़ी एक मोटरसाइकिल में भी आग लगा दी गई। हिंसा की जांच शुरू हो गई है और चरमपंथियों की पहचान की जा रही है।
यह पूरा विवाद तक शुरू होता है जब उत्तर प्रदेश के संभल जिले में शाही जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर घोषित करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मस्जिद के सर्वेक्षण का आदेश दिया। इससे पहले सर्वे 19 नवंबर की रात को किया गया था और दूसरी बार 24 नवंबर (रविवार) को सर्वे टीम मस्जिद पहुंची थी। मस्जिद कमेटी की सहमति से दोनों पक्षों की मौजूदगी में सर्वे किया जाना था, लेकिन बड़ी संख्या में लोगों ने मस्जिद के सर्वे का विरोध किया। कोर्ट के आदेश पर जब सर्वे शुरू हुआ तो भीड़ ने पुलिस पर हमला कर दिया और पथराव कर कई गाड़ियों में आग लगा दी।
हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस को आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा और कई चरमपंथियों को हिरासत में लिया गया। हालांकि, सर्वे टीम ने अपना काम पूरा कर लिया है और रिपोर्ट 29 नवंबर को कोर्ट को सौंपी जाएगी, जिस पर सभी पक्षों को अपनी बात रखने का मौका मिलेगा।
संभल की जामा मस्जिद या हरिहर मंदिर?
संभल की शाही जामा मस्जिद को लेकर सवाल उठाया जा रहा है कि दरअसल यह मस्जिद एक प्राचीन हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। इस दावे के ऐतिहासिक और पुरातात्विक पहलुओं की जांच करने वाली भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 1875 की एक रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। यह रिपोर्ट ए. सी. एल. कार्लाइल द्वारा तैयार की गई थी और “टूर्स इन द सेंट्रल दोआब एंड गोरखपुर 1874-1875 एंड 1875-1876” शीर्षक के तहत प्रकाशित की गई थी।
1875 की ASI रिपोर्ट का निष्कर्ष
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तत्कालीन अधिकारी ए. सी. एल. कार्लाइल द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट, “मध्य दोआब और गोरखपुर में दौरे 1874-1875 और 1875-1876” में संभल में जामा मस्जिद का व्यापक सर्वेक्षण शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक, मस्जिद के अंदर और बाहर के खंभे पुराने हिंदू मंदिरों के बताए जा रहे हैं, जिन्हें प्लास्टर लगाकर छिपाने की कोशिश की गई थी। मस्जिद के स्तंभों में से एक पर प्लास्टर हटाने से लाल रंग के प्राचीन स्तंभों का पता चलता है, जो हिंदू मंदिरों में इस्तेमाल किया जाने वाला डिज़ाइन और संरचना है। ASI सर्वेक्षण में दावा किया गया कि मस्जिद में कई संकेत और अवशेष हैं, जो इसकी प्राचीनता और हिंदू मंदिर से इसके संबंध की ओर इशारा करते हैं। हालांकि, मामला कोर्ट में लंबित है और सर्वे का मौजूदा निष्कर्ष 29 नवंबर को कोर्ट में पेश किया जाएगा।
संभल की जामा मस्जिद: क्या इसे एक हिंदू मंदिर से परिवर्तित किया गया था?
संभल की शाही जामा मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि इसे एक प्राचीन हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाया गया था। इस दावे को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और ऐतिहासिक साक्ष्यों से पुष्ट करने की कोशिश की गई है। ASI की 1875 की रिपोर्ट में इस मस्जिद में मौजूद एक शिलालेख को सबसे बड़ा बताया गया है।
ASI का तर्क
रिपोर्ट के मुताबिक, मस्जिद में एक शिलालेख है, जिसमें लिखा है कि यह निर्माण कार्य 933 हिजरी में हिंदू बेग ने पूरा कराया था। मीर हिंदू बेग बाबर का दरबारी था, जिसने एक हिंदू मंदिर को मस्जिद में बदल दिया था। ASI के मुताबिक, यह शिलालेख इस बात का प्रमाण है कि मस्जिद का निर्माण एक हिंदू धार्मिक स्थल के स्थान पर किया गया था।
संभल की जामा मस्जिद: ऐतिहासिक दावे और सबूत
संभल में जामा मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष ने दावा किया कि इसे भगवान विष्णु ने एक हिंदू मंदिर को तोड़कर बनवाया था। इस दावे का आधार बाबरनामा और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट को माना जा रहा है।
क्या कहती है ASI की रिपोर्ट
ASI की 1875 की रिपोर्ट में कई सबूत हैं, जो हिंदू मंदिर के अस्तित्व की ओर इशारा करते हैं।
मस्जिद स्तंभ: मस्जिद का हिंदू स्तंभ मुस्लिम स्तंभ से अलग है और शुद्ध हिंदू वास्तुकला का प्रतीक है।
गुंबद का जीर्णोद्धार: ASI के अनुसार, मस्जिद के गुंबद का जीर्णोद्धार हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल के दौरान किया गया था।
पुरातात्विक अवशेष: मस्जिद की संरचना में हिंदू मंदिर के कई निशान पाए गए, जिन्हें बाद में प्लास्टर से ढक दिया गया।
बाबरनामा का जिक्र
हिंदू पक्षकार याचिकाकर्ता हरिशंकर जैन ने अपनी याचिका में बाबरनामा का जिक्र किया है। बाबरनामा, जो स्वयं बाबर द्वारा लिखा गया था और ब्रिटिश ओरिएंटलिस्ट एनेट बेवरिज द्वारा अनुवादित किया गया था। पृष्ठ संख्या 687 पर लिखा है कि बाबर के आदेश पर उसके दरबारी मीर हिंदू बेग ने संभल के हिंदू मंदिर को जामा मस्जिद में बदल दिया। यह विवरण उस शिलालेख से मेल खाता है, जिसमें मीर हिंदू बेग के नाम और वर्ष 33 हिजरी में मस्जिद के निर्माण का उल्लेख है।
भारत में मस्जिदों को लेकर विवाद अक्सर इतिहास, धार्मिक धरोहर, और सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों के कारण उठते रहते हैं। ये विवाद मुख्य रूप से ऐतिहासिक घटनाओं, धार्मिक पहचान, और सांस्कृतिक धरोहरों से जुड़े होते हैं। मस्जिदों पर चल रहे विवादों में अयोध्या विवाद (राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद), ज्ञानवापी मस्जिद (वाराणसी), शाही ईदगाह विवाद (मथुरा) जैसी मस्जिदें शामिल हैं।
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