उत्तर प्रदेश के कुंदरकी विधानसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) ने भाजपा की जीत को लेकर गहरी नाराजगी व्यक्त की है। पार्टी का कहना है कि चुनाव प्रक्रिया में धांधली हुई है और उसने नतीजों को कोर्ट में चुनौती देने का मन बना लिया है। सपा का दावा है कि अगर चुनाव निष्पक्ष रूप से होते, तो पार्टी को जीत मिलती। अब सपा इस संबंध में कानूनी सलाह लेकर आगे का कदम उठाएगी।
कुंदरकी उपचुनाव में भाजपा के ठाकुर रामवीर सिंह की जीत की संभावना मजबूत होती दिख रही है, लेकिन सपा ने चुनाव के दौरान हुए हंगामे और पुलिस की कथित दखलंदाजी को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। सपा का आरोप है कि चुनाव के दौरान उनकी पार्टी के मतदाताओं को वोट डालने से रोका गया और वोटिंग प्रक्रिया में सत्ता के पक्ष में ढील दी गई। सपा उम्मीदवार हाजी रिजवान ने खुद पुलिस बैरिकेडिंग को हटाने की कोशिश की थी, जिससे साफ होता है कि चुनाव में गड़बड़ियां हुईं।
सपा का आरोप: “पुलिस ने लड़ा, सत्ता ने लड़ा”
सपा के नेताओं ने आरोप लगाया कि कुंदरकी में चुनाव पूरी तरह से सत्ता के नियंत्रण में था। पार्टी का कहना है कि पुलिस और प्रशासन ने उनके समर्थकों को परेशान किया और उनका मतदान करना मुश्किल बना दिया। सपा का मानना है कि अगर चुनाव निष्पक्ष होते, तो पार्टी बड़ी आसानी से जीत जाती। इस संबंध में सपा ने पूरी तरह से चुनावी वीडियो और साक्ष्य एकत्रित किए हैं, जो वह कोर्ट में पेश कर सकती है।
सपा ने यह भी आरोप लगाया कि कुंदरकी के अलावा सीसामऊ में भी सत्ता ने उनके समर्थकों को परेशान किया, लेकिन वहां जनता का आशीर्वाद उन्हें मिला और वे जीतने में सफल रहे। इस स्थिति को लेकर अब सपा कुंदरकी उपचुनाव के नतीजों को कानूनी रूप से चुनौती देने की योजना बना रही है।
भा.ज.पा. का दावा: “कमल ने खिलाया, हिंदू-मुस्लिम एकजुटता की जीत”
वहीं, भाजपा ने कुंदरकी में अपनी जीत को एक ऐतिहासिक विजय करार दिया है। भाजपा के यूपी अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष, कुंवर बासित अली ने इसे हिंदू-मुस्लिम एकता की जीत बताया और पार्टी के उम्मीदवार रामवीर सिंह को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने इसे समाजवादी पार्टी की रणनीतियों पर करारा जवाब बताया और दावा किया कि भाजपा की जीत जनता की असली इच्छा का प्रतिबिंब है।
क्या सपा का रुख सही है?
कुंदरकी उपचुनाव में हुई हलचल और सपा की शिकायतें इस बात को उजागर करती हैं कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता के सवाल अभी भी अनसुलझे हैं। हालांकि सपा का कोर्ट जाने का फैसला एक राजनीतिक रणनीति के तहत लिया गया है, लेकिन यह यह भी दिखाता है कि भाजपा और सपा के बीच तीव्र मतभेद हैं। राजनीतिक दलों का यह आरोप-प्रत्यारोप लोकतंत्र में अहम है, लेकिन यह भी जरूरी है कि चुनावी प्रक्रिया में हर पार्टी को समान अवसर मिले और चुनाव निष्पक्ष तरीके से कराए जाएं।
अगर सपा कोर्ट में अपनी शिकायतों को सही तरीके से साबित करने में सफल होती है, तो यह यूपी की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है, जहां चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को लेकर गंभीर सवाल उठ सकते हैं। फिलहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि सपा अपनी कानूनी लड़ाई में कितनी आगे बढ़ पाती है और क्या कुंदरकी उपचुनाव का परिणाम बदलता है या नहीं।
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