Lung Cancer: प्रिया शर्मा (काल्पनिक नाम), 35 वर्षीय एक शिक्षिका थीं, जिन्होंने कभी सिगरेट को हाथ तक नहीं लगाया। वह एक स्वस्थ जीवनशैली जीती थीं और योग व ध्यान को अपने दिनचर्या में शामिल करती थीं। लेकिन, जब उन्हें लगातार खांसी और सांस लेने में तकलीफ हुई, तो डॉक्टरों ने जांच के बाद उनके लंग कैंसर की पुष्टि की।
चौंकाने वाली बात यह थी कि प्रिया का लंग कैंसर वायु प्रदूषण और सेकंडहैंड स्मोक के कारण हुआ था। वह एक बड़े महानगर में रहती थीं, जहां वायु गुणवत्ता बेहद खराब थी। इसके अलावा, उनके ऑफिस में कई लोग धूम्रपान करते थे, जिससे वह अक्सर सेकंडहैंड स्मोक के संपर्क में आती थीं।
लंग कैंसर को अक्सर सिगरेट से जोड़ा जाता है, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि जो लोग कभी सिगरेट नहीं पीते, उन्हें भी यह बीमारी हो जाती है। इस विषय को समझने के लिए असल वजह का जानना सबसे लिए जरूरी है। कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी आज के वक्त में आम हो गई है। इसका केवल एक कारण नहीं बल्की कई सारे कारण छुपे होते हैं। आज हम इस आर्टिकल में लंग कैंसर से जुड़ी कुछ खास बातों को जानेंगे जिसे कर एक व्यक्ति को जानना जरूरी है।
क्यों होता है नॉन-स्मोकर्स को लंग कैंसर?
- वायु प्रदूषण: जहरीली हवा में मौजूद प्रदूषक जैसे PM2.5 कण और अन्य टॉक्सिक गैसें फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती हैं। बड़े शहरों में रहने वाले लोग इससे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
- सेकंडहैंड स्मोक: सिगरेट का धुआं केवल धूम्रपान करने वालों के लिए ही नहीं, बल्कि उनके आसपास के लोगों के लिए भी खतरनाक होता है। इसमें 70 से ज्यादा कैंसर पैदा करने वाले तत्व होते हैं।
- रेडॉन गैस: रेडॉन एक प्राकृतिक गैस है, जो मिट्टी और चट्टानों से निकलती है। यह घरों में दरारों से प्रवेश कर सकती है और कैंसर का कारण बन सकती है।
- जीवनशैली और जेनेटिक्स: कुछ लोगों में कैंसर का जोखिम उनके आनुवंशिक गुणों या कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण बढ़ जाता है।
- पिछले संक्रमण: टीबी (तपेदिक) या कोविड-19 जैसे संक्रमण फेफड़ों को कमजोर कर देते हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
कैसे करें बचाव?
- वायु प्रदूषण से बचाव:
- एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।
- घर के अंदर पौधे लगाएं, जो हवा को शुद्ध करते हैं।
- बाहर जाने पर N95 मास्क का उपयोग करें।
- सेकंडहैंड स्मोक से बचाव:
- धूम्रपान करने वालों के पास जाने से बचें।
- सार्वजनिक स्थानों पर सिगरेट बैन का समर्थन करें।
- रेडॉन परीक्षण:
- अपने घर में रेडॉन गैस के स्तर की जांच कराएं।
- फेफड़ों की नियमित जांच:
- अगर आपको लंबे समय तक खांसी, थकान, या सांस लेने में दिक्कत हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
प्रिया शर्मा जैसे मामले दिखाते हैं कि स्वस्थ आदतों के बावजूद पर्यावरणीय और बाहरी कारण लंग कैंसर का कारण बन सकते हैं। इसलिए, हर किसी को अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए वायु गुणवत्ता और स्वास्थ्य जांच पर ध्यान देना चाहिए।
यह कहानी और जानकारी न केवल जागरूकता बढ़ाने का माध्यम है, बल्कि समय रहते सतर्क होने का संदेश भी देती है। आपका स्वास्थ्य आपकी सबसे बड़ी संपत्ति है, इसे संभालकर रखें।
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