CATEGORIES

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
Friday, November 22   1:56:11

रेशम से नाज़ुक रिश्ते I अनु चक्रवर्ती

अपने किसी प्रिय के साथ अत्यंत लघु संवाद या लगभग अबोलेपन की स्थिति में … एक लंबा अरसा गुज़र जाने के पश्चात,
दो लोगों के मध्य फैली गलतफ़हमियां अगर मिट भी जाएं… तब भी हम उस कुटुंब के प्रति पूरी तरह से सहज एवं स्वाभाविक दृष्टिकोण के संग आगे गुज़र नहीं कर पाते …

और ख़ुदा-न-ख़ास्ता अगर ये रिश्ता दिली-मुहब्बत का हो…. जज़्बात का हो तो, तब तो निःसन्देह यहां हमारी दिक्क़तें थोड़ी और बढ़ जाती हैं ..

प्रेम में जहां समर्पण के भाव स्वतः उभरते हैं.. वहीं स्नेहसिक्त अधिकार भी पूरी सुलभता के साथ अपनी मंज़िल तक पहुंचने की सदैव ज़िद्द किया करते हैं..

ऐसे में अगर दो लोगों का आपस में किनारा कर लेना संभव ना हो, औपचारिकताएं जीवनपर्यंत निभाई जानी आवश्यक हों …

तब हमें अपने मन की चाहनाओं पर आहिस्ते से लगाम लगाकर…धीरता को अपना संबल बनाकर अपने संबंधों को जहां तक संभव हो सके..जिलाए रखने की ओर प्रयास करते रहना चाहिए…..

ताकि छोटी – बड़ी मुलाक़ातों के मध्य अस्वाभिकता, असहजता रु -ब -रु महसूस न हो…

कई दफ़े जीवन में ऐसा कुछ अप्रत्याशित -सा घटित हो जाता है जिसकी हमने कभी कल्पना भी न की हो…..

उस वक़्त हम देखते हैं कि – यह निष्ठुर जीवन हमें उन्हीं अंधी गलियों में बार -बार ले जाकर अकेला खड़ा कर देता है,
जहां हमें न केवल बंद दालानों में गुज़र करते हुए अपने हिस्से के रौशनदान बनाने होते हैं बल्कि उस जगह उम्मीद की अनगिनत किरण को संजोकर प्रत्यारोपित भी करना आवश्यक हो जाता है..

ताकि हमारे साथ -साथ आसपास का समस्त जीवन भी गतिशील बना रहे…